
खाने-पीने की चीजों से प्राप्त होने वाला ग्लूकोज़ लीवर और मांसपेशियों में भी स्वयं बनता है । ये ग्लूकोज़ रक्त के जरिए शरीर की कोशिकाओं में पहुँचता है । अग्न्याशय में व्याप्त इन्सुलिन नामक तत्व शरीर में मौजूद ग्लूकोज़ को ऊर्जा में तब्दील करता है । और जब इन्सुलिन का स्तर नीचे गिर जाए तो ब्लड में ग्लूकोज़ का लेवल बढ़ जाता है ।
खाने-पीने की चीजों से प्राप्त होने वाला ग्लूकोज़ लीवर और मांसपेशियों में भी स्वयं बनता है । ये ग्लूकोज़ रक्त के जरिए शरीर की कोशिकाओं में पहुँचता है । अग्न्याशय में व्याप्त इन्सुलिन नामक तत्व शरीर में मौजूद ग्लूकोज़ को ऊर्जा में तब्दील करता है । और जब इन्सुलिन का स्तर नीचे गिर जाए तो ब्लड में ग्लूकोज़ का लेवल बढ़ जाता है ।
आयुर्वेद में मधुमेह का कारण वात यानी हवा का उत्तेजित होना है । वात यानी हवा और शुष्कता । इस प्रकार की बीमारियों में धातुओं की ज्यादा गिरावट होती है और इसी कारण शरीर के सभी अंग इस बीमारी से प्रभावित हो जाते है । आयुर्वेद में बताए गए ट्रीटमेंट से न केवल शरीर, शुगर के लेवल को संतुलित करने के लिए रिजुविनेट होता है बल्कि इस बात की भी पुष्टि करता है कि इससे अन्य कोई प्रॉब्लम न हों ।
आयुर्वेद उपचार से किसी भी इंसान की पूरी लाइफ स्टाइल बदल जाती है । दवाओं व् डाइट के साथ मरीज को एक स्वस्थ व् एक्टिव जिंदिगी जीने का तरीका बताया जाता है । ये सब मिलकर शरीर के उत्तक व् कोशिकाओं को रिजुविनेट करते है और बॉडी में इंसुलिन की मात्रा को भी उत्पन्न करते है ।
क्या है कारण ?
- आनुवांशिक कारण ।
- मानसिक तनाव व स्ट्रेस ।
- ज्यादा मात्रा में खाना व सोना ।
- योग, व्यायाम में कमी ।
- प्रोटीन व फैट का अधिक सेवन ।
- अत्यधिक चीनी व रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट का सेवन ।
- तली-भुनी खाद्द पदार्थ, क्रीम व मुश्किल से पचने वाले भोजन का अत्यधिक सेवन ।
- मोटापा बढ़ना, कमर एवं पेट पे अत्यधिक फैट का जम जाना ।
- शराब, कोल्ड ड्रिंक्स एवं डब्बा बंद पेय पदार्थ का अधिक सेवन ।
कैसा हो आहार व लाइफस्टाइल
क्या करें ?
- रोज व्यायाम जरूर करें ।
- टहलना (40 मिनट्स वाक) को अपने दिनचर्या में शामिल करें ।
- दिन में सोने से बचें ।
- स्ट्रेस को प्राणायाम, ध्यान एवं खानपान से नियंत्रित रखें ।
- रात को जल्दी सोएं, सुबह जल्दी उठें ।
क्या ना खाएं ?
- फल जैसे अनानास, अंगूर व आम से परहेज करें ।
- मीठा, खट्टा, व् ज्यादा नमक वाले खाद्य पदार्थ से परहेज करें ।
- आलू, शकरकंद, ऑयली फ़ूड, पोलिस्ड दाल, चावल एवं आनाज के सेवन से बचें ।
- फास्ट फूड, चिल्ड एंड प्रोसेस्ड फ़ूड से बचें ।
- टीवी देखते हुए, भागते हुए, गाडी चलाते हुए या बात करते हुए खाने से बचें ।
क्या खाएं ?
- साबूत अनाज को डाइट में शामिल करें जैसे गेंहूँ की रोटी, पास्ता, ब्राउन राइस ।
- वसा रहित दूध से तैयार किया गया पनीर व दही ।
- लहसन, प्याज, करेला, पालक, कच्चा केला व आलू बुखारा का सेवन करें ।
- एक भाग बाजरे, चने, जौ, सोया, मक्का व चार भाग गेंहूँ के आटे को मिलाकर बनाया हुआ रोटी, ब्रेड एवं केक सेवन करें ।
- मेथी, कलौंजी, धनिया जीरी, पुदीना, दालचीनी का सेवन करें ।
वैलनेस टिप्स
- करेला का जूस दिन में एक बार जरूर पीएं ।
- मेथी के दानों को पीस लें और एक चमच्च पाउडर पानी के साथ दिन में 2 बार पीएं ।
- एक चमच्च आंवले के रस को एक चमच्च करेले के जूस में मिलकर दिन में दो बार पीएं ।
- दालचीनी अदरक व हल्दी वाली चाय दिन में दो बार पीएं ।
- पालक, ब्रोकली, गोबी, मेथी का साग जैसे हरी सब्जियों का सूप पीएं ।